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पेरियार : महान समाज सुधारक

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पेरियार: एक प्रेरणास्रोत और सामाजिक सुधारक पेरियार, जिनका पूरा नाम इरोड वेंकट नायकर रामासामी था, भारतीय राजनीति और समाज सुधार में एक महत्वपूर्ण नाम हैं। उनका जन्म 17 सितंबर 1879 को हुआ और 24 दिसंबर 1973 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्हें अन्य नामों जैसे ईवीआर, पेरियार, और वायकम वीरर से भी जाना जाता है। वे एक प्रभावशाली राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और नास्तिकवादी थे, जो जातिवाद और अंधविश्वासों के खिलाफ जीवनभर संघर्ष करते रहे।         पेरियार का जीवन उस समय के सामाजिक नियमों और धार्मिक अंधविश्वासों से टकराव की कहानी है। 15 साल की उम्र में, पिता से अनबन के चलते उन्होंने घर छोड़ दिया। इसके बाद, उन्होंने समाज में व्याप्त ब्राह्मणवाद और जातिगत असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाई। पेरियार को ‘पेरियार’ नाम से इसलिए सम्मानित किया गया क्योंकि इसका मतलब होता है "सम्मानित व्यक्ति"। वे विशेष रूप से द्रविड़ आंदोलन के जनक माने जाते हैं, जिसे उन्होंने न्याय और समानता के सिद्धांतों पर आधारित किया।            1919 में, पेरियार भारतीय राष्...

विश्व जल दिवस। World Water Day

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**विश्व जल दिवस: संरक्षण, जागरूकता और सम्भावनाएं** प्रतिवर्ष 22 मार्च को मनाया जाने वाला 'विश्व जल 1 ਲ।  ਭੌ दिवस' एक महत्वपूर्ण अवसर है जो जल संसाधन के महत्व को अधिक जागरूक करता है। जल, हमारे अस्तित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन यह संसाधन धीरे-धीरे कम हो रहा है। विश्व जल दिवस एक सामाजिक उत्सव है जो हमें जल संरक्षण, जल संबंधी समस्याओं के बारे में जागरूक करने और जल संसाधन के सही उपयोग के लिए प्रेरित करता है। विश्व जल दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को जल संसाधन की महत्वता के प्रति जागरूक करना है। जल हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है और इसके बिना हमारा अस्तित्व संभव नहीं है। इसलिए, हमें जल का सही ढंग से प्रबंधन करना और इसके विपरीत उपयोग से बचना चाहिए। जल संरक्षण के लिए अधिक संचार और शिक्षा की आवश्यकता है ताकि हर व्यक्ति जल के महत्व को समझे और इसके प्रति सचेत रहे। विश्व जल दिवस के माध्यम से लोगों को जल संरक्षण के लिए उत्साहित किया जाता है। इस दिन पर, विभिन्न संगठन और समुदायों में जल संरक्षण के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लोग जल संबंधी समस्याओं पर चर्चा करते हैं, ...

भीमाकोरे गांव शौर्य दिवस Bhimakore gaon Shorya Diwas

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            1 जनवरी को हम नववर्ष मनाते है आपस में बधाई देते है लेकिन 1 जनवरी बहुजन समाज के लिए ऐतिहासिक रूप से गौरवपूर्ण दिन है l हमारे समाज में बहुत ही कम लोग है जिनको यह बात मालूम है कि 1 जनवरी को बहुजन शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है l                19वीं सदी के प्रारम्भ में पुणे के राजा बाजीराव पेशवा का शासन मनुस्मृति के कानून के आधार पर चलता रहा था l महाराष्ट्र की अछूत जातियों के साथ जाति-पाति, छुआ-छूत ही नहीं शारीरिक रूप से भी घोर अत्याचार किया जा रहा था l पेशवा की क्रूरता, उदंडता और नीचता ने सभी हदें पार कर डाली l कुछ अंग्रेज शासकों ने इन अत्याचारों को रोकने का प्रयास किया लेकिन कुछ राजा उनके गुलाम थे इसलिए वे ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करते थे l          महाराष्ट्र की अंग्रेजी सेना में महार सैनिकों की एक महार रेजीमेंट थी l महार रेजीमेंट के महार सैनिक बाजीराव पेशवा के अत्याचारों से काफी कुपित थे और उनके अंदर उस अत्याचार को समाप्त करने की एक चिंगारी सुलग रही थी l संयोग से अंग्रेजों और पे...

चंद्र ग्रहण (Lunar eclipse) क्यों होता है? चंद्र ग्रहण का पृथ्वी पर क्या प्रभाव पड़ता है?

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चंद्र ग्रहण विज्ञान में एक जब सूरज, पृथ्वी, और चंद्रमा का आकारी रूप से क्रमबद्ध सबसे अच्छी तरह से एक सीधी रेखा पर आते हैं, तो घटित होता है। इसका मुख्य कारण है कि पृथ्वी और चंद्रमा की माध्यमिक रेखा सूरज के बीच आ जाती है, जिससे चंद्रमा को सूरज की प्रकीर्ण रोशनी से छिपा देता है। चंद्र ग्रहण पूर्ण या आंशिक हो सकता है, जो पृथ्वी के स्थिति और चंद्रमा के स्थान पर निर्भर करता है। चंद्र ग्रहण के दो प्रमुख प्रकार होते हैं: 1. पूर्ण चंद्र ग्रहण: इसमें चंद्रमा पूरी तरह से सूरज की प्रक्षेपण की रेखा के बीच आ जाता है, जिससे विस्तार से दिखाई नहीं देता। यह घटना कई घंटों तक चल सकती है, और इस दौरान चंद्रमा का पूर्णतः छिप जाना घटित होता है। 2. आंशिक चंद्र ग्रहण: इसमें चंद्रमा केवल आंशिक रूप से सूरज की प्रक्षेपण की रेखा के बीच आता है, जिससे चंद्रमा का एक हिस्सा सीधे सूरज के सामने आ जाता है। इसके दौरान चंद्रमा का कुछ हिस्सा छिप जाता है और इसे चुंबकीय ग्रहण भी कहा जाता है। पृथ्वी पर चंद्र ग्रहण का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है, यह केवल एक आकाशीय घटना होती है और इसका कोई भौतिक प्रभाव नहीं होता है।...

International Day of the World's Indigenous Peoples विश्व आदिवासी दिवस

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विश्व आदिवासी दिवस 9अगस्त 1994 से लगातार मनाया जाता रहा है। विश्व के सभी आदिवासियों को सम्मान देने, उनकी प्रकृति संरक्षण में भूमिका तथा एक विशिष्ट संस्कृति से रूबरू कराने के उद्देश्य से विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में आदिवासियों को पृथक से आरक्षण मिला हुआ है लेकिन आज भी ये आर्थिक, राजनैतिक और शैक्षिक दृष्टि से राष्ट्रीय औसत से पीछे है। इनको मुख्य धारा में लाने मे अभी बहुत समय लगेगा। सरकारें भी इनकी संस्कृति बचाने की आड़ में इनको आधुनिकीकरण से दूर रखना चाहती है। विकास की आड़ मे सबसे ज्यादा जमीनें आदिवासियों की ही अधिग्रहण की जाती है। आदिवासी आज भी अंधविश्वास और अशिक्षित हैं। अब आदिवासियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और अंधविश्वास व नशे की प्रवृत्ति से छुटकारा दिलाने की बहुत आवश्यकता है। जय आदिवासी, जय जौहार, जय भारत।

महात्मा कबीर दास Mahatma Kabir Das

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कबीर दास, निर्गुण भक्ति के संत और कवि जिनकी जयंती ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाई जाती है। कबीर दास जी का जन्म सन् 1398 में वाराणसी में हुआ था। उनके पिता संत तोहाराम जी और माता नीमा जी थे। इसके बाद उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिए सामान्य लोगों को धार्मिक तत्वों के बारे में जागरूक किया।  कबीर दास जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की विभिन्न मुद्दों पर संदेश दिया। उन्होंने जाति व्यवस्था, धार्मिकता, तानाशाही, जातिवाद, अज्ञानता आदि के खिलाफ उठाव दिया। उनकी रचनाओं में सत्य, न्याय, प्रेम, समता, अन्याय, दया और अस्वीकार्यता के महत्वपूर्ण संकेत हैं।      कबीर दास जी के दोहे अद्वितीय हैं और उन्हें उनकी सरलता और प्रभावशाली व्यंग्य की वजह से याद किया जाता है। उनके दोहे साधारण जीवन की समस्याओं पर प्रकाश डालते हैं और मानवीय जीवन के मूल्यों को उजागर करते हैं। यहां कुछ प्रमुख कबीर दास जी के दोहे हैं: 1. "दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय। जो सुख में सुमिरन करे, दुख काहे को होय॥" अर्थ: जब हम दुःख में होते हैं, तो सभी भगवान का स्मरण करते हैं, लेकिन सुख में हम किसी का स्मरण ...

अन्तरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस International Biodiversity Day

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आज अन्तर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस है। संपूर्ण पृथ्वी या किसी प्राकृतिक आवास मे विभिन्न प्रकार के पादप और जन्तुओं की जातियाँ पाइ जाती हैं। जीवों की इस विविधता को ही जैवविविधता कहते है। पृथ्वी पर लगभग ३००००० पादप जातियां व लगभग ४००००० जन्तुओं की जातियां पाई जाती हैं। भारत मे लगभग ४५००० पादप जातियाँ और लगभग ९०००० जन्तुओं की जातियां पाइ जाती हैं। वनों की अंधाधुंध कटाई व प्रदूषण के कारण वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं। जिसके कारण बहुत सी पादप व जन्तु जातियां विलुप्त हो गई और बहुत से पादप और जन्तु विलुप्ति के कगार पर है। जीवों के नष्ट होने के कारण प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है जिसके फलस्वरूप प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। अतः हमें जीवों की सुरक्षा करके प्राकृतिक संतुलन मे सहायता करनी चाहिए। हम प्रकृति को सुरक्षित रखेंगे तो प्रकृति हमें सुरक्षित रखेगी।