चंद्र ग्रहण (Lunar eclipse) क्यों होता है? चंद्र ग्रहण का पृथ्वी पर क्या प्रभाव पड़ता है?

चंद्र ग्रहण विज्ञान में एक जब सूरज, पृथ्वी, और चंद्रमा का आकारी रूप से क्रमबद्ध सबसे अच्छी तरह से एक सीधी रेखा पर आते हैं, तो घटित होता है। इसका मुख्य कारण है कि पृथ्वी और चंद्रमा की माध्यमिक रेखा सूरज के बीच आ जाती है, जिससे चंद्रमा को सूरज की प्रकीर्ण रोशनी से छिपा देता है। चंद्र ग्रहण पूर्ण या आंशिक हो सकता है, जो पृथ्वी के स्थिति और चंद्रमा के स्थान पर निर्भर करता है।

चंद्र ग्रहण के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:

1. पूर्ण चंद्र ग्रहण: इसमें चंद्रमा पूरी तरह से सूरज की प्रक्षेपण की रेखा के बीच आ जाता है, जिससे विस्तार से दिखाई नहीं देता। यह घटना कई घंटों तक चल सकती है, और इस दौरान चंद्रमा का पूर्णतः छिप जाना घटित होता है।

2. आंशिक चंद्र ग्रहण: इसमें चंद्रमा केवल आंशिक रूप से सूरज की प्रक्षेपण की रेखा के बीच आता है, जिससे चंद्रमा का एक हिस्सा सीधे सूरज के सामने आ जाता है। इसके दौरान चंद्रमा का कुछ हिस्सा छिप जाता है और इसे चुंबकीय ग्रहण भी कहा जाता है।


पृथ्वी पर चंद्र ग्रहण का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है, यह केवल एक आकाशीय घटना होती है और इसका कोई भौतिक प्रभाव नहीं होता है। यह आंख से देखने के लिए दिन के समय नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि सूरज की प्रकीर्ण रोशनी से चंद्रमा छिप जाता है।

चंद्र ग्रहण एक रोचक और आकर्षक आकाशीय घटना होती है, और लोग इसे विशेष रूप से अद्वितीय देखने के लिए विभिन्न तरीकों से जाँचते हैं।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

यूथ एवं इको क्लब दिशा निर्देश Youth And Eco Club Guidelines

सर अलेक्जेंडर कनिघम Alexander Cunningham

हनुमान गढ जिला Hanuman Garh District. भटनेर दुर्ग Bhatner Fort