स्वामी केशवानंद जी की जीवनी Swami Keshwanand
स्वामी केशवानंद जी, जिन्हें सीमांचल के शिक्षा संत के रूप में जाना जाता है, ने शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया है। उनके द्वारा स्थापित सैकड़ों विद्यालय आज भी हनुमानगढ़, गंगानगर, चूरू, आबोहर और फाजिल्का जिलों के लोगों को शिक्षा का लाभ पहुंचा रहे हैं। इन क्षेत्रों में शिक्षा के माध्यम से उन्होंने एक नई दिशा दी, जो उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक है।
स्वामी केशवानंद जी न केवल एक शिक्षा संत थे, बल्कि एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई और समाज में बदलाव लाने के लिए निरंतर प्रयास किए। 1942 में ग्रामोथन विद्यापीठ संगरिया के रजत जयंती समारोह के अवसर पर स्वामी जी ने मृत्यु भोज जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने की अपील की थी। उनकी यह अपील उस समय भले ही उतनी प्रभावी न मानी गई हो, लेकिन अब समाज इसे समझने और अपनाने लगा है।
स्वामी केशवानंद जी का जीवन सरल था, परंतु उनके विचार गहरे और प्रेरणादायक थे। उनका मानना था कि पूजा-पाठ और धार्मिक कर्मकांडों में समय व्यर्थ करने के बजाय समाज की सेवा करना ही सच्ची भक्ति है। उन्होंने एक बार कहा था, "मैं पूजा-पाठ नहीं करता, ईश्वर किस बल का नाम है मुझे नहीं पता, मैं सुबह उठते ही यह सोचता हूं कि मुझे आज क्या-क्या कार्य करना है।" उनका यह दृष्टिकोण कर्मयोग का उदाहरण प्रस्तुत करता है, जिसमें जीवन का प्रत्येक क्षण समाज की भलाई के लिए समर्पित होता है।
स्वामी केशवानंद जी ने पराक्रम का अर्थ भी समाज को नए सिरे से समझाया। उनके अनुसार, पराक्रम किसी को सताने में नहीं, बल्कि सताए हुए को ऊपर उठाने में है। उन्होंने सदैव दूसरों की मदद करने और उन्हें ऊपर उठाने के महत्व पर जोर दिया, जो उनके जीवन और कार्यों में स्पष्ट रूप से झलकता है।
स्वामी जी ने हमेशा जाति, धर्म और समुदाय के भेदभाव से ऊपर उठकर काम किया। उनका कहना था, "मैं किसी जाति विशेष का नहीं, धर्म-समुदाय को मानने वाला नहीं, इस देश की मिट्टी से बना हूं।" यह विचार दर्शाता है कि स्वामी केशवानंद जी मानवता के प्रति पूर्ण समर्पित थे और समाज की सेवा को ही अपनी सच्ची साधना मानते थे।
स्वामी केशवानंद जी का जीवन भारतीय समाज और शिक्षा के क्षेत्र में एक मार्गदर्शक के रूप में सदैव प्रेरणादायक रहेगा। उन्होंने समाज की बेहतरी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया और समाज को शिक्षा और जागरूकता का एक ऐसा उपहार दिया जो पीढ़ी दर पीढ़ी लाभान्वित होता रहेगा। उनकी शिक्षाएं और विचार हमें यह सिखाते हैं कि सच्ची सेवा जाति, धर्म और भेदभाव से परे होते हुए मानवता के कल्याण के लिए होनी चाहिए। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि महानता सेवा में निहित होती है और पराक्रम दूसरों को ऊपर उठाने में।
स्वामी केशवानंद जी के द्वारा दिखाए गए मार्ग और उनके आदर्श हमें यह सिखाते हैं कि सही मायनों में समाज की सेवा करना ही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। उनके प्रति यह श्रद्धांजलि न केवल उनके योगदान का सम्मान है, बल्कि उनके आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा भी है।
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