किसानों के मसीहा, स्वतंत्रता सेनानी, दीनबंधु सर छोटुराम की जीवनी

किसानों के मसीहा, स्वतंत्रता सैनानी, समाज सुधारक, न्याय विद, दीनबंधु सर छोटूराम की जीवनी। 
मृत्यु की जगह और तारीख: 9 जनवरी 1945, लाहौर, पाकिस्तान
सर छोटूराम का जन्म रोहतक के गांव गढी सांपला मे एक साधारण परिवार में हुआ। इनका असली नाम राम रिछपाल था। ये घर में सबसे छोटे थे तो इन्हें छोटू राम कहकर बुलाया जाने लगा।
प्रारंभिक पढ़ाई के बाद उन्होंने दिल्ली के 'संत स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली और फिर एलएलबी पढ़ने वो इलाहाबाद चले गए। फिर पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वापस लौटकर वकालत भी की और इसी दौरान वो कांग्रेस में शामिल हो गए। 1920 में उन्होंने सभी समुदायों के किसानों को एकजुट करना शुरू कर दिया और एक नए राजनीतिक दल जमींदारा पार्टी का गठन किया।ब्रिटिश राज में किसान उन्हें अपना मसीहा मानते थे। वे पंजाब राज्य के एक बहुत आदरणीय मंत्री (राजस्व) थे और उन्होंने वहाँ के विकास मंत्री के तौर पर भी काम किया था।ये पद उन्हें 1937 के प्रोवेंशियल असेंबली चुनावों के बाद मिला था।
राजस्व मंत्री रहते हुए सर छोटू राम की पहल पर दो प्रमुख क़ानून बने।(1.) पंजाब रिलीफ़ इंडेब्टनेस एक्ट 1934 और (2.)पंजाब डेब्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट 1936
 जिससे किसानों को सूदखोरों के चंगुल से मुक्ति मिली। इन क़ानूनों की वजह से किसानों को ज़मीन के अधिकार मिलने का रास्ता साफ़ हुआ। उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर अंग्रेज़ी हुकूमत ने उन्हें 'सर' की उपाधि दी थी।
फरवरी 1928 में दलित और पिछड़ों की भारत में वास्तविक स्थिति का पता लगाने साइमन कमीशन भारत आया तब सर छोटुराम उनके स्वागत मे बनी कमेटी के चेयरमैन बने। बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर ने भी साइमन कमीशन का स्वागत किया। 

9 जनवरी 1945 में सर छोटूराम का लाहौर में निधन हो गया। मगर उन्हें रोहतक लाया गया वहीं उनकी समाधी है।

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