हम कितने आजाद हुए। आजादी की सार्थकता क्या है?

हम कितने आजाद हुए

हमें केवल अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली है, लेकिन धार्मिक अंधविश्वासों, सामाजिक कुरीतियों, नशा प्रवृत्ति आदि बुराईयों से हम आज भी मुक्त नही हुए हैं। हमारी महिलाएं और बेटियाँ कितनी सुरक्षित है। आज भी महिलाओं के साथ अमानवीय घटनाओं के उदाहरण मिलते रहते है। विश्व के वैज्ञानिक डायनासोर की खोज करके जैव विकास समझा रहे हैं जबकि भारत मे किसी असहाय महिला मे डायन / डाकन की खोज करके यातना दे रहे है और झील मे स्नान करके पाप मुक्ति का प्रमाण भी दे रहे हैं। डायन प्रथा जैसी कुरीति भारत के अलावा विश्व के किसी देश मे नही पाई जाती। आजादी के इतने सालों बाद भी हम इन्सान को इन्सान नही मान रहे है। क्या यही हमारी आजादी है? क्या यही हमारी महानता है? आज हम भ्रष्टाचार, गरीबी, बैरोजगारी जैसे अहम मुद्दों से भटक कर अन्य मुद्दों मे उलझे रहते है। हमारे इसरो के वैज्ञानिक मंगल मिशन व चंद्र मिशन जैसे महान कार्य कर रहे है जबकि कुछ लोग ग्लोब पर एक लोटा पानी डालकर पृथ्वी का तापमान कम करने का दावा करते हैं। कब तक हम तर्क को छोड़कर चमत्कार पर विश्वास करते रहेंगे। जब हम तार्किक दृष्टिकोण अपनाकर मानसिक रुप से आजाद होंगे तभी हमारी आजादी सार्थक होगी। जय भारत, जय संविधान।

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