सूर्य ग्रहण Solar Eclipse

भूगोल के अनुसार सूर्य ग्रहण - पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है तथा चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। अपनी अपनी कक्षा में घूमते हुए जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो सूर्य ग्रहण होता है। चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आने से यह कुछ समय के लिए सूर्य को आंशिक या पूर्ण रूप से ढक लेता है, जिससे सूर्य का पूरा प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है और चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है।
 सूर्य ग्रहण एक खगोलिय घटना है इसका शुभ अशुभ, जन्म मरण, स्वास्थ्य बिमारी, अमीरी गरीबी, जाति धर्म, आदि से कोई संबंध नहीं होता है अतः अंधविश्वास से बचकर रहें। एक वर्ष में सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों मिलाकर छह या सात तक होते है।

शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण - समुद्र मंथन से निकला अमृत जब देवताओं को पिलाया जा रहा था तब स्वरभानु नामक राक्षस इनके बीच में आकर बेठ गया। सूर्य व चंद्रमा को इस बात का पता चल गया। इन्होने इस बारे में विष्णु को बताया। विष्णु के साथ लड़ाई में इनके दो टुकड़े राहू व केतु हो गए। ये राहू व केतु जब सूर्य को या चंद्रमा को निगलने का प्रयास करते हैं तब ग्रहण होता है। सूर्य व चंद्र ग्रहण का ये सिद्धांत भारत के अलावा कोई नहीं मानता। 
अब आप सोच लो अपने बच्चों को क्या पढाना चाहते हो और क्या बनाना चाहते हो। 

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी 👌👌
Unknown ने कहा…
nice information.
Rohtash Ghottar ने कहा…
धन्यवाद जी
Rohtash Ghottar ने कहा…
धन्यवाद जी
Unknown ने कहा…
अछि जानकरी है इससे जो लोग अंधविश्वास फैलाकर कमा रहे है उनके प्रति लोग जागरुख होंगे कि ये सब बकवास है जय विज्ञान

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

यूथ एवं इको क्लब दिशा निर्देश Youth And Eco Club Guidelines

सर अलेक्जेंडर कनिघम Alexander Cunningham

हनुमान गढ जिला Hanuman Garh District. भटनेर दुर्ग Bhatner Fort